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मारा गया ।' खजाइनुल फुतूह ने किले में दुर्भिक्ष को इसका कारण बताया है । “किले में अकाल पड़ गया । एक दाना चावल दो दाना सोना देकर भी नहीं प्राप्त हो सकता था,” और चापलूसी की तरंग में लिख मारा है कि जब जौहर कर हम्मीर अपने दो एक साथियों के साथ पाशेब तक पहुँचा तो उसे भगा दिया गया" । २ दुर्ग का पतन ३ जीकाद ७०० हिजी ( १० जुलाई, १३०१ ) के दिन हुआ । बरनी के अनुसार 'सुल्तान अलाउद्दीन ने हाजी मौला के विद्रोह के उपरान्त बड़े परिश्रम तथा रक्तपात के पश्चात रणथंभोर के किले पर अपना अधिकार जमा लिया। राय हमीरदेव तथा उन मुसल्मानों को जो कि गुजर त के विद्रोह के उपरान्त भाग कर उसकी शरण में पहुंच गए थे हत्या करा दी ।"3 फरिश्ता के कथनानुसार जब रिण में फेंकी हुई बोरियों की ऊंचाई जब गढ़ को उँचाई तक पहुँच गई तो घिरे हुए आदमियों को हराकर मुसलमानों ने दुर्ग ले लिया। हम्मीरदेव अपने जातिभाइयों के साथ मारा गया ।४ __हिन्दू ऐतिह्य साधनों में से हम्मीरमहाकाव्य के अनुसार वास्तव में दुर्ग में दुर्भिक्ष न था, किन्तु कोठारी जाहड ने इस इच्छा से कि सन्धि हो जाय, झूठ मूठ यह सूचना दी कि अन्न नहीं है। उधर रतिपाल अलाउद्दीन से जा मिला । शत्रु-शिविर से लौटने पर हम्मीर को और भड़काने के लिए उसने कहा "सुल्तान आपकी पुत्री को मांगता है और कहता है कि यदि
१. फुतूहस्सलातीन का अवतरण देखें । २. खजाइनुल फुतूह का अवतरण देखें। ३. तारीखेफिरोजसाही का अवतरण देखें । ४. तारीखेफरिश्ता का अवतरण देखें।
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