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________________ ( १२७ ) पोटलियों में बालू लाये । छठे महीने वह सब भर गया । तब यह देखकर सब लोग मन में डरे । कंगूरों तक अब तुओं के हाथ पहुँचने लगे । तुर्की की इच्छा अब पूरी होगी। राय हम्मीर को अब यह चिन्ता हुई । रिणभर गई है । अब दुर्ग हाथ से गया। ___हम्मीरायण ने इस विपद् से बचने का एक अधिदैविक कारण दिया है । “गढ़के देवता ने परमार्थ जानकर चाबी लाकर हम्मीर को दी जब राय ने छोटा फाटक खोला तो देव-माया से उसी समय पानी बहा । पानी से बालू बह गया, और वह झोल फिर खाली हो गया (२०२)। किन्तु वास्तविक प्रतिकार तो दुर्गस्थ वीरों का साहस था । बरनी ने लिखा है कि जब खाई को भरकर पाशेब और गरगच लगाए गए तो किले वालों ने मगरबी पत्थरों से पाशेबों को हानि पहुँचानी प्रारम्भ कर दी। वे किले के ऊपर से आग फेंकते थे और लोग दोनों ओर से मारे जाते थे।' खजाइनुल फुतूह ने भी लिखा है कि रजब से जीकाद ( मार्च से जुलाई ) तक मुसलमानी सेना किले को घेरे रही । “किले से बाणों की वर्षा होने के कारण पक्षी भी न उड़ सकते थे । इस कारण शाही बाज भी वहाँ तक न पहुँच सकते थे।" इसके बाद दुर्ग के जाने की कथा हमें विभिन्न रूपों में प्राप्त है । एसामी के कथनानुसार किले पर आक्रमण का मार्ग तैयार होने पर भी दो तीन सप्ताह तक घोर युद्ध होता रहा । उसके बाद हम्मीर ने जौहर किया और किले से मुहम्मदशाह एवं कामरू के साथ निकल कर युद्ध करता हुआ १. तारीखेफिरोजसाही का अवतरण देखें। २. खजाइनुलफुतूह का अवतरण देखें। .. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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