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________________ ( १२३ ) देने लगीं।' कड़ाहों में रालसे मिला तप्त तैल प्रतिमटों के जलाने के लिये तैयार था। दोनों ओरसे बाण छूटने लगे । आग्नेयबाणों की भी वर्षा हुई। दोनों ओर भैरव-यन्त्रों से गोले छूटने लगे। ढिंकुलियाँ भी मानों अपने हाथआगे बढ़ाकर गोले फेंकती हुई आनन्द लेने लगी। राल से युक्त तेलमें भिंगोकर : जलते हुए कुन्त यवनों ने दुर्ग में फेंके। कई ने दुर्ग पर चढ़ने का और कई ने सुरंग लगाने का प्रयत्न किया। उनके नालियों से छूटे बाणों ने भी पर्याप्त हानि की। किन्तु हम्मीर के सैनिकों ने इन सब का तीन महीनों तक प्रतिकार किया।२ बरनीने लिखा है कि एक दिन नुसरतखाँ किले के निकट पाशेब बंधवाने में तथा गरगच लगवाने में तल्लीन था। किले के अन्दरसे मगरबी पत्थर फेके जा रहे थे। अचानक एक पत्थर नुसरतखाँके लगा जिससे वह घायल हो गया। दो तीन दिन उपरान्त उसकी मृत्यु हो गई।३ अन्य हम्मीर विषयक ग्रन्थों में भी इस घटनाका उल्लेख है। हम्मीर महाकाव्य के अनुसार दुर्ग का एक गोला मुसल्मानों के एक गोला से भिड़ गया और उससे उचट कर उछलते हुए एक टुकड़े से निसुरतखान मर गया (११-१००)। हम्मीरायण के अनुसार 'निसरखान' नवलखि दरवाजा के पास मारा गया ।४ इनमें हम्मीर महाकाव्य और बरनी के कथनों में कुछ विशेष विरोध नहीं है। १-राजस्थानी काव्यों में यह शब्द ढेकुली और हम्मीर महाकाव्य में टिंकुली के रूप में वर्तमान हैं। इसका रूप वर्तमान ढेकी का सा था ( ११-७१,८९ )। २-११, ७५, ९९ ३-ऊपर तारीखे फिरोजशाही का अवतरण देखें। . ४-'नवलखि मार्या निसरखान' (१७२) । इसका यह अर्थ करना कि निसरखान ने नौलाख राजपूतों को मारा सर्वथा अशुद्ध है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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