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( १२० ) को हम्मीर ने यह पद दिया, वह तो अन्ततः कृतघ्न सिद्ध हुआ। हम इसे हम्मीर की भूल कहें ; या दैव ही उसके प्रतिकूल था ?
सन् १२९८ में हम्मीर ने मुहम्मदशाह को शरण दी थी। उसके बाद लगभग दो वर्ष तक अलाउद्दीन ने कुछ न कहा। उत्तर-पश्चिम से मुगलों के भयंकर आक्रमणों के कारण उसीकी जानको आ बनी थी। जब इन से कुछ छुट्टी मिली तो उसने अपनी भारतीय नीति के सूत्रों को फिर सम्भाला। जिन राज्यों के रहते दिल्ली का सार्वभौमत्व स्थापित नहीं हो सकता था उनमें से रणथंभोर एक था। मुहम्मदशाह आदि को शरण देकर हम्मीर ने अब एक और अक्षम्य अपराध किया था। उसका राज्य दिल्ली के बहुत निकट भी था। ___ सुल्तान की पहली चढ़ाई मानों हम्मीर के सत्त्व को जाँचने के लिए हुई । एक बड़ी सेना हिन्दूवाट जा पहुंची। किन्तु इससे पूर्व कि वह आगे बढ़े हम्मीर के सेनापतियों ने उसे आ घेरा। पूर्व से वीरम, पश्चिम से मुहम्मदशाह, आग्नेय से रतिपाल, वायव्य से तिचर ( यलचक ), ईशान से रणमल्ल, नैऋत से वैचर ( बर्क), जाजदेव ने दक्षिण और उत्तर से गर्भरूक ( कामरू) ने मुसलमानी फौज पर आक्रमण किया। मुसल्मान बुरी तरह से हारे । अनेक मुसल्मान स्त्रियाँ रतिपाल के हाथ भाई । रतिपाल ने राजा की ख्याति के लिए उनसे गांव-गांव में छाछ बिकवाई हम्मीर रतिपाल से इतना प्रसन्न हुआ कि उसने 'यह मेरा मस्त हाथी है कहकर उसके पैरों में सोना की संकली डाली और दूसरों को भी वस्त्रादि देकर सम्मानित किया। उस समय किसे ध्यान था. कि रणमल्ल, रतिपाल आदि स्वामीद्रोही सिद्ध होंगे?
१-हम्मीरमहाकाव्य, १०, ३१-६३ ।
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