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________________ ( ११६ ) आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था, किन्तु उसमें स्वयं वह बौद्धिक शक्ति थी जो सैनिक ही नहीं, आर्थिक समस्याओं को सुलझा सके । इम्मीर को आर्थिक समस्याएं सुलझाने के लिए मंत्रियों का सहारा लेना पड़ा। ___ उसके मन्त्रियों में धर्मसिंह अर्थ चिन्तन में कुशल था। किन्तु उसे हटाकर हम्मीर ने यह कार्य खाँडाधर भोज को दिया था, और भोज तो कोरा खांडाधर ही निकला। न वह पर्याप्त धन ही एकत्रित कर सका, और न वह कुछ व्ययादि ही का हिसाब किताब रख सका। अतः विवश होकर हम्मीर ने अर्थचिन्तन का कार्य धर्मसिंह को सौंपा। खांडाधर मोजदेव से भी उसने इतना दुर्व्यवहार किया कि वह अपने भाई पृथ्वीसिंह समेत अलाउद्दीन की सेवा में पहुँच गया ।' हम्मीर ने उसके स्थान पर रतिपाल को दण्डनायक का पद दिया। नयचन्द्र के कथनानुसार धर्मसिंह ने प्रतिशोध की इच्छा से प्रजा को पीडित किया था, नए नए उपाय निकाले थे जिनसे कोश में धन आ सके। किन्तु इस नीतिके लिए स्वयं हम्मीर भी उत्तरदायी था ही ; उसे धनकी अत्यधिक आवश्यकता न होती तो धर्मसिंह को प्रजा को करोत्पीडित करने का अवसर ही कहाँ से मिलता ? । भोजदेव को भी रणथम्भोर से निकालना भूल थी। भीमसिंह की मृत्यु के बाद रणथं भोर के विशिष्ट सेनापतियों में से भोज भी एक था; और जिस व्यक्ति . १-खांडाधर भोजदेव के लिए मरु मारती, ८, १, पृ० ११३ पर हमारा लेख पढ़ें। कविमल्ल के कवित्त ९ और १० ('हम्मीरायण, पृष्ठ ४७ ), और खेम का कवित्त १५ भी भोज और पृथ्वीराज के लिए दृष्टव्य हैं। हम्मीरहाकाव्य में सब प्रसङ्ग देखें, सर्ग ८, श्लोक १५७-१८८ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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