________________
पहले मुग़ल थे, धन सम्पत्ति मांगने पर उलुगखों की हत्या करने पर कटिबद्ध हो गए। उलुनखाँ उस स्थान पर न था जहाँ वह सोया करता था । उन लोगों एक शस्ता का जो कि शिविर के सामने था सिर काट लिया
और उसे भाले की नोंक पर चढ़ाकर सेना में धुमाया। उलुगखाँ चुपके से नुसरतखाँ के पास पहुँचा। नुसरतखाँ ने विद्रोहियों पर आक्रमण कर दिया। यलचक तथा बर्क करणराय के पास भाग गए। कमीज़ी मुहम्मद शाह तथा काभरू रणथम्बोर के किले की ओर चल दिये ।...
"उलुगखाँ ने झायन पर आक्रमण किया। जब उलुराखाँ को ज्ञात हुआ कि मुगलों ( मुसलमानों) से दो व्यक्ति राय हमीर की शरण में पहुँच गए हैं तो उसने एक दूत राय के पास भेजा और उसे लिखा कि कमीज़ी मुहम्मदशाह तथा कामरू दो विद्रोही तेरी शरण में आ गए हैं। ( २७०-२७१ ) तू हमारे दुश्मनों की हत्या कर दे अन्यथा युद्ध के लिये तैयार हो जा। हम्मीर ने अपने मन्त्रियों से परामर्श किया। उन्होंने उसे राय दी कि हमें युद्ध न करना चाहिए और उन दोनों को उनके सिपुर्द कर देना चाहिए। हम्मीर ने उत्तर दिया कि जो मेरी शरण में आ चुका है। मैं उसे किसी प्रकार हानि नहीं पहुँचा सकता चाहे प्रत्येक दिशा से इस किले पर अधिकार जमाने के लिए तुर्क एकत्रित क्यों न हो जायँ। राय हम्मीर ने उलुनखाँ को उत्तर लिख भेजा कि “जो लोग मेरी शरण में आ गए हैं उन्हें मैं किसी प्रकार तुझको नहीं दे सकता। यदि तू युद्ध करना चाहता है तो मैं तैयार हूँ।" उलुनखाँ ने यह उत्तर पाकर रणथम्बोर पर आक्रमण करके किले के निकट पहाड़ी के दामन में शिविर लगा दिए । किन्तु उसने देखा कि किले तक पक्षी मी न पहुंच सकते थे। यह देख
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org