SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठकुर-फेरू-विरचित (अधिनसोलसहि मसिउ तेहिवि चहु टंकु तोलओ तिउणो । सोलहि जवेहि वन्नी बारहि वन्नी महाकणओ ॥ १० सट्ठि पलि एग धडिया घडिया सट्ठीहि एगु दिणु-रयणी । दिणि रयणि तीसि मासो बारहि मासंमि वरिसु इगो ॥ ११ एग दह सय सहसं दसहस लक्खं तहेव दसलक्खं । कोडिं तह दसकोडी अव्वं दसअव्व जाणेह ॥ १२ खवं तह दसखव्वं संखं दससंख पउम दसपउमं । नीलं तह दसनीलं नीलसयं नीलसहसं च ॥ १३ दससहस नील तह पुण नीलं लक्खो वि नील दसलक्खं । तह कोडिनील इच्चाइ संख अंकाई नामाइं ॥ १४ ॥इति २९ गणिताङ्क ॥ परिकम्मं पणवीसं तहाट जाई य अट्ठ विवहारा । अहिगारा चारेयं पणयालीसाइ दाराइं ॥ १५ ................ इच्छाएगि जुयद्धे इच्छा गुणियं हवेइ संकलियं ॥ १६ १. अथ संकलितमाह सम दिण दल मग्ग गुणं विसमं अग्गिमदलेण संगुणियं । जं हुइ तं संकलियं न संसयं इत्थ नायव्वं ॥ १७ इच्छा पण्हऽक्खरिहिं गुणिज्जइ, पन्हु मेलि पुणु इच्छ हणिज्जइ । बिउणिहिं पण्हिहिं भाउ हरिजइ लडंकिहि संकलिउ कहिज्जइ ॥१८ एग्गाई जाव दसं संकलियं पिहगु दस गुणाणं च । एगुत्तर वुड्डिकमे भणेह एयाण मूल पुणो ॥ १९ संकलियट्ठ गुणिगि जुय तस्स पयं एगि हीण अद्धेण । अह बिउण वग्गमूले सेस समं संकलियमूलं ॥ २० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003822
Book TitleRatnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1996
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy