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५. कांगड़ा कोट में अत्यन्त शोभायमान भगवती का स्थान है । वे मानव धन्य हैं जो जालपा देवी का गुणगान करते हैं ।
६. आज मेरी मनोवांछा पूर्ण हुई, आज मेरे नये-नये रंग / आनंद प्राप्त हुए । आज मैंने देवी दुर्गा माता के उत्तुंग भवन का भले ही दर्शन पाया ।
७. स्वर्णमय छत्र ज्वाज्वल्यमान है, देवी का है। ऊंची ध्वजा खूब फहरा रही है, चतुर्दिग् फूट रहे हैं ।
पाट / सिंहासन रुण झुण ध्वनित देखते ही जय जयकार शब्द
८. माता की सप्रभाव मूरति स्पर्श करते ही सभी पाप दूर हो गये । अमृत रसपरिपूर्ण नेत्रों की दृष्टि पड़ते ही भरपूर आनंद छा गया ।
९. मेघ को देखते ही जैसे मोर हर्षित होता है वैसे ही दर्शनों से आनंद प्राप्त हुआ । चन्द्रमा को देखकर चकोर सुखी होता है वैसा अ-विघटित सुख मिलता है ।
१०-११. हंस के मन में जैसे मानसरोवर का नीर बसता है, भौंरे के मन में केतकी और गजराज के मन में नर्मदा का जल प्रवाह वसता है, चातक के मन में मेघ और चकवी के मन जैसे सूर्योदय हैं वैसे ही मेरे मन में जालपा देवी के चरणों का दर्शन से अधिक स्नेह व्याप्त होता है |
१२. भगवती के दर्शन होने से मेरे मन में हर्ष उत्पन्न होता है । आपके चरण कमल मेरे मन में अहर्निश बसते हैं ।
१३. जो नर-नारी रात दिन भगवती की भक्ति भावपूर्वक करते हैं वे संसार में ऋद्धि-सिद्धि सुख संपदा का विलास करेंगे ।
१४. हर्षकोत्ति कवि कहता है कि जगदंबा के गुण गाते, चरणों की पूजा करते जालपा माई के प्रसाद से उन्हें सुख संप्राप्त होगा ।
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