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६. वह परचे पूरता है और विघ्न बाधाएं सहज में ही दूर कर मनोवांछित देता है । वीरतिलक अत्यन्त शक्तिशाली है, अतः भव्यजन उसकी भक्ति करते हैं ।
७. वीरतिलक बावन वीरों में से है । वह खीर का भोग माँगता है, सुगन्धित पुष्पों से जो पूजा करता है उसके शत्रुओं को वह लीला मात्र में दूर कर देता है ।
८. कई लोग सोना रूपा से पूजा करेंगे ऐसा मन से बड़े भाव पूर्वक कहते हैं कि स्वामी, हमारी कामना पूर्ण करो !
९. कई लोग बहुत से लड्डू लाकर चढ़ाते हैं और लापसी के ढेर लगाते हैं । स्वामी वीरतिलक ! यह सुनिये, सभी लोग लोभो स्वार्थी हैं ।
१०. हे देव ! आज तुम्हारा दर्शन किया, अब मन में बड़ो प्रसन्नता हुई । स्वामी, कृपा करो ! आपके तुष्ट होने से बहुत सी ऋद्धि और सिद्धि हो जाएगी ।
११. गृहस्थ लोग घर से उत्साह पूर्वक आकर अभिनव नाटक रचते हैं । वासुपूज्य स्वामी, सुनिये आपके द्वार पर नृत्य खेल करते हैं ।
१२. परमात्मा वासुपूज्य स्वामी के जिनालय में मध्य रात्रि तक नुपूर के अंकार के साथ नृत्य होता रहता है, वीरतिलक अपार गुणों वाला है । वीरतिलक का चारित्र सुनो। पापों का नाश होगा, सुख-संपत्ति होगी ।
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