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१३. जिनेश्वर के मंदिर में महिलाओं ने उत्साह पूर्वक रास खेला। वे
मनुष्य धन्य धन्य हैं जिन्होंने जिनेश्वर को देखा। घात-विषम-गुरुतर पहाड़ो का उल्लंघन कर लाहड़ गढ में संघ की भक्ति करके संतोष श्री पाई। नंदौन की यात्रा कर सुखदायी नगरकोट पहुंचे। चारों प्रासादों में अष्टाह्निका पूजाकर महाध्वज चढ़ाकर विक्रम संघपति ने भाव पूर्वक अनगल दान दिया। चतुर्थ भाषा भावार्थ१. चांदासाह ने द्रव्य देकर इन्द्र पद लिया, जिनेश्वर का न्हवण हुआ, अपने
चित्त में प्रसन्नता धारण कर पूजा की। २. आठों संघपति बन्धओं ने, वीघउ साह ने अपार द्रव्य दिया। संसार ____ चंद्र नरेन्द्र ने श्रेष्ठ शिरोपाव दिए। ३. कई सुज्ञानी वीरधवल के गुणों को गाते हैं कि धन्य ! धन्य ! ऊधरु ___ साह ( पिता ) और धन्य माता है जिसने इन्हें जन्म दिया।
४. रूप में कामदेव के समान, दान में कर्ण जैसा, भुज बल में भीम जैसा ___ विदित होता है और विद्वानों से प्रणत वृहस्पति जैसा अलंकृत है ।
५. दारिद्र का नाश करने वाला, राजाओं को प्रसन्न करने वाला, श्रेष्ठ ___ रूपवान, अत्यन्त सद्विचार शील संघपति वीकम है-यह जानना। ६. श्री आदिजिनेश्वर की मोकलो यात्रा कर पुनः घर की ओर लौटे और ____ क्रमशः संघ सहित भटनेर नगर पहुंचे।
७. भाइयों ने उत्साह पूर्वक (स्वागत) किया, दुलचीराय प्रसन्न हुआ और ____ उसने हार्दिक आनंद पूर्वक बंधुओं के साथ वीकम को पहिरावणी की। ८. वड़गच्छ मंडन भानु, सूरिश्रेष्ठ, मुनिशेखरसूरि थे। उनके शिष्य मुनिवर
मुनिभद्र ने शुभ दिन में इस रास की रचना की। ९. शासन देवी अम्बिका और वांधुल देवी के प्रसाद से संघपति वोकागर ( वीकम ) बन्धुओं के सहित जगत में चिरकाल जयवंत रहे ।
श्री संघपति वीकमसीह का रास संपूर्ण हुआ।
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