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५. मिती वैशाख शुक्ल पूर्णिमा, स्वाति नक्षत्र, गुरुवार और कर्क लग्न में __ दश घड़ी दिन चढने पर शुभ ग्रहों के प्रचलन में। ६. आनंद पूर्वक कुलगुरु श्री भद्रेश्वरसूरि ने कमिणी के कान्त (श्री वीकम)
को संघपति का तिलक किया, सब विघ्न-बाधाएं दूर हुई। ७. उसका अनंत गुणों वाला भ्राता वीरधवल दान में कर्ण के सदृश है। । परमेश्वर ने संतुष्ठ होकर उसे अधिक कृपा प्रसाद दिया है। ८. इस संघ में प्रथम मण्डलीक लोढा कुल का धणसीह, दूसरा नाहर कुल
तिलक निर्भय रूपाशाह हुआ। ९. तीसरा खरतरगच्छ का भक्त भीमावत घडसीह और चौथा सूरा नंदन
( सुराणा ) शूरवीर रतनसीह ( मंडलीक हुआ) १०. नाहर कुल का सेलहत्थ, बाऊ का पुत्र वणवीर और देवराज तथा पूना
___ का पुत्र वीरु संघ के पृष्ट रक्षक थे। ११-१२-१३. अब पुण्यवन्त संघपति बतलाते हैं—आसू का पुत्र सुरजन, फेरु
का पुत्र पाल्हा जो पवित्र लोढा वंश का था, खेड़ा का पुत्र खण्डेलवाल ज्ञातीय कमल, कुमारपाल का पुत्र स्वजाति में प्रशंसा प्राप्त साल्हउ और मांडू का पुत्र साधु-ये जो अति सद्विचारशील हैं, संधपति वीकम ने सात उदार संघपति स्थापित किए। , घात-बड़े भारी उत्सव के साथ दान देते हुए तलवंडी आकर "घरसिगड़ी' जीमण किया। श्रेष्ठ नगर लुधियाना में जिनेश्वर को चित्त में धारण कर ( संघपति- ) तिलक किया। सातों संघपतियों ने साथ प्रतिलाभ ( मुनियों को आहार दान ) किया। सारे संघ-परिवार के साथ वीकम संघपति चला।
तृतीय भाषा भावार्थ१. कोठीनगर में गाडियों को छोड़ दिया और घोड़ों के द्वारा जो वहां अपार
थे, विषम पहाड़ी मार्ग का उल्लंघन किया।
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