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________________ पालिय चालहि नारि उद्धर कोकिल सद्द सुहाइ मोर लवई भणइ डुंगर भरणि भरंति नारि वाइं सुरभि समीर छाह भली निय करि पट्ट दुकूल भाटह कुलह कबाई पहुतउ नंदवणि संघु पूजिउ तिहुयणनाहु पहुता लाहड़कोटि सरसा नउ संघ वीकमु संघपति इ मग्गत जण चामर धज भिंगारु तहि थिउ चालइ संघु सुय गुण तहि पंथि क्रमि क्रमि पहुता जाई पइसारइ किउ ( उ ) च्छाहि प्रियतम रहो न । घण ५६ ] Jain Educationa International मिलियउ कंचण पहिलउ वंदिउ वीरु जिणवर न्हवण विलेवण पूज मनरंगि गायहिं वण पडिलाभण मुणिवर गणह । संतोसइ चारण हरिसिउ विक्कमु जिणेसर वीरु गायतीय | थिया ||२|| कांगड़इ आदि जिणिदु संघपति वीकमु अंबिक तणइ प्रसादि दुरिय जल हि निय भेटिउ हरिसिहि जाई भूपति तिणि दीघउ बहुमान भोग पुरंदरू राउ जिणेसरु पीथड़ साहि विहारु आदि सोलसमो जिण शांति पूज करि मन तहि ठवई । कलस कंचणमइ मन रंगि लोय विपाश तरई ॥७॥ For Personal and Private Use Only कोटह तिलउं । नगरकोटि वीकमु संघपति गुण निलउ ||८|| चउवोसमउ गहण ||३|| पूज तहि । लहइ ||४| कामिणि मन उछरंगि रासु दियइ जिणवर धनु धनु ताह नरांह जिणवरु दीसइ जिह भुय जगह ||५|| पुणु । जिगह गुण ||९|| संघव | वंदिजए || ६ || पूजियउ | रंजियउ || १०॥ करई । तरहिं ॥११॥ संसारचन्दु | गरूय दंदो ॥ १२ ॥ भुवणि । नयणि ॥ १३॥ www.jainelibrary.org
SR No.003821
Book TitleNagarkot Kangada Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherBansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti
Publication Year
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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