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त आणंदिहि कुलगुरि कियउ तिलकु भद्रे सरसूरि। त करमिणि कतिहि संघवइ विघ्न किया सवि दूरि ॥६॥ (त) दानिहि कनु अनंत गुण वीरधवलु तसु भाउ । त तूसवि परमेसरि दियउ अधिकउ जासु पसाउ ॥७॥ त तहि संघि पहिलउ मांडलियउ लोढा कुलि घणसीहु। त बीजउ नाहर कुलि तिलउ रूपउसाहु अबीहु ॥८॥ त त्रीजउ खरतर गण भगतु भीमाउतु घडसीहु। (स) सूरा नंदणु सूरवरो चउथउ रत्तनसीहु ॥९॥ त सेलहत्थु नाहर कुलिहिं बाऊ पुतु वणवीरु । त देवराजु पच्छिवाणु तहिं पूना सुतु छइ वीरु ॥१०॥ त पुण्यवंत संघपति भणउ सुरजनु आसू पुत्तु। त फेरु पुत्तु पाल्हउ तहय लोढा वंसि पवित्तु ॥११॥ तहि कमलउ खेडा तणउ खंडिलवाल अवयंस। त साल्हउ कुमरपाल तणउ निज न्यातिहि पसंस ॥१२॥ त अनु साधूमांडू तणउ अच्छइ अतिहि सुविचारु । (त) वीकमि संघपति थापिय ए संघपति सात उद्धा (? दा) रु ॥१३॥
॥ घात ॥
गरुय उच्छवि गरुय उच्छवि देवितहि दाणु । तलवंडी आवि ए जीमणवार सगृही करेविण । लुद्रेहाणइ वर नयरि कियउ तिलकु जिणु मनि धारेविण ॥ सातइं संघवइहिं सरिस पड़िलाभण किय सार। वीकमु संघपति चालियउ सयल संघि परिवार ॥१॥
तृतीय भाषा कोठीनयरि मझारि मेल्हइ सकट संजुत्त तहि । तुरियन पारावार लांघहि डुगर विसम तहिं ॥१॥
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