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तासु कुखि सरि रायहंस विक्कउ सुविचारो। भुल्लणु केल्हण गुणनिहाणु गुन्नउ जगि सारो॥ वीरधवल धुरि धवलु धम्मि लीला गोविंदो। सोहइ इणि परिवार जुत्त जणु पूनिम चंदो॥॥ धीरु वीरु गंभीर चित्त जिण सासण मंडण । विणय विवेय विचार सार दालिद्द विहंडण ॥ निय गुण रजिय पुहवि लोय तं संख न जाणउ । उद्धर सुय सुरतरु समान मन रंगि वखाणउं ॥७॥
॥ घात। वंशि नाहर वंशि नाहर कुलह सिंगार साहु राय नगदेउ थुणि खेमंधरु जसु पुत्त सुहकरु तसु नंदणु सूगउ सगुण तासु पुत्तु उद्धरु भणिजइ पुत्त रयण साह सधर वीकमसी सुविचार बंधव सउ जगि चिरु जयउ जिम तारायण राउ
प्रथम भाषा अन्न दिवसि मेलवि परिवारो, पूछइ वीकमु नियमणि सारो। आइ जिणेसरु जइ वदोजइ, सयल सुखु संगम पामीजइ ॥१॥ संघ पुरिस सह जिहि सलहीजइ, भुल्लण किरतइ इम पभणीजइ। वीरधवलु सरसइ पेखीजइ, गुणरायह सउं मंतु करीजइ ॥२॥ भेटिउ तिणि माणिकदेउ मलिकु, अरियण सेणि सुहड वरु इकु । तूठउ मलिकु देइ कुलह कवाए, करउ जात निय मणि उच्छाहे ॥३॥ बड़ गच्छिहिं मंडण युगपवरो, वादी सिरिदिवसूरि गणहरो। अट्ठकम्म गय घण पंचायणु, सावय रंजणु अमिय रसायणु ॥४॥ तसु अनुकमि मुनिसेहरसूरे, असुह नाम पय नासहि दूरे। सिरि सिरितिलयसूरि तसु सीतो, भविय कमल पडिबोहण दीसो ॥५॥ तसु पट्टोयहि चंद समिद्धउ, भद्देसरसूरि नामि पसिद्धउ । तसु आएसिहि भलइ मुहुत्तेहिं, जत्तारंभु करइ निय सत्तिहिं ॥६॥
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