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दीसइ अति सोहामणओ, जिम जिम संति जिणेसु । तिमतिम परमानंद मणि, नयणें अमिय पवेसो ॥ १० ॥
उच्च थंभ पूतल विउल, उज्जल शिखर पहाण । पेथड़ देउल पेखिय ए, जाणे सरग विमाण ॥११॥
गुरई आदीसर तणीय, महे मूरति सार । दीसइ जाणे प्रगट हुई, पुण्य तणा भंडार ||१२||
चरचइ चंदन कुंकुमहि, पेथड़ राय पढम जिणेसर पय कमलो, ते
विहारे ।
धन्ना संसारे ॥ १३॥
देउलि देउलि विविह परे, सयल, जिणेसर चंद | वंदीय पूइय रंग भरे, पामिय परमानंद || १४ ||
व्याह नदी तटि पणमियए, नंदणपुर सिंगारो । तित्थंकर चउवीसमओ, तिसला देवि मल्हारो ॥ १५ ॥
गुण मणि रोहणगिरि सरिसो, वंछिय कामिय कंद | कोठीनयरहि पणमियए, चडवीसमउ जिणिंद ॥ १६ ॥
इंद्रापुर वर उदयगिरे, उदयउ उज्जल भाणु । तित्थंकर तेवीसमउ, पणमउ सुक्ख निहाणु ॥ १७॥
चउदह सय अठयासिय ए, संघिसयलि किय जात ।
पाप पडल सहु झड़ि पड़िया, निम्मल हुया गात || १८ ||
इति नगरकोट विनती
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