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हिन्दी भावार्थ१. मेरे मन में जालंधर देश के प्रति क्षान्ति लगी है, तीर्थ वन्दन के हेतु ___ मैं नगरकोट आया हूँ ! २. 'बाण गंगा, पाताल गंगा और व्यास नदी के तट पर विस्तृत वनराजि
है घाट के आगे मार्ग है। ३. वहाँ पहले जिनालय में महिमा के भंडार प्रथम जिनेश्वर हैं। नेत्रों से ____ अमृत रस पिलाने वाले शान्तिनाथ जिनेश्वर के दर्शन किए। ४. दूसरे जिनालय में जाने पर मन में अधिक रीझ उत्पन्न हुई जहाँ रूपचंद
राजा का निर्मापित स्वर्णमय बिम्ब (विराजित ) है । ५. जिनके दर्शनों से मन को संतोष होता है आनंद के उछ्वास आते हैं।
अंधकार में उद्योत करने वाले जगद्गुरु वीर प्रभु जयवंत हैं ६. सरोवर में राजहंस को भांति तीसरे प्रासाद में आदीश्वर भगवान को
जल, चंदन और चम्पक पुष्पों से ( पूज कर ) स्तुति करें। ७. अब चित्त में चमत्कृत होकर ऊँचे कांगड़ा गढ़ चढ़ा, यह तो मानो मैंने
सिद्धशिला पर आरोहण कर लिया। ८. अंग में उल्लास नहीं समाता, माता-पिता और घर सब भूल गया।
जब आदीश्वर भगवान दर्शनों से मेरे समस्त कार्य सिद्ध हो गए। ९. नेमिनाथ भगवान के जयवंत-शासन में राजा सुशर्म ज्ञात कर हिमालय
से कांगड़ा कोट में जिन्हें लाया। १०. चंद्रवंशी राजा-रानी जो प्रभु के चरणों में झुकते हैं, अंबिका देवी को
कृपा से उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ११. कंचनमय कलश युक्त ये चारों प्रासाद हैं। चारों वर्ण के लोगों से
नत चारों प्रासाद विषाद को दूर करते हैं। गोपाचल के मस्तक पर मुकुट की भांति जगत के स्वामी शांतिनाथ भगवान हैं कामित फल
प्राप्ति रसिक मैं उनके नाम में लीन हूँ। २२ ]
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