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________________ नमः" लिखा था, अब वह लेख गुम हो गया है। इसमें सं० १५६६ का लेख है जो विज्ञप्ति-त्रिवेणी के पश्चात्वर्ती है। इन्द्रेश्वर मन्दिर में दो प्राचीन जैन प्रतिमाएं ड्योढी में लगी हुई है। एक प्रतिमा का लेख लौकिक सं० ३० ( ई० सन् ८५४ ) का ८ पंक्ति का विज्ञप्ति-त्रिवेणी में प्रकाशित है, प्राचीन कांगड़ा के बाजार में इन्द्रेश्वर मंदिर के पास एक ऋषभदेव स्वामी की प्रतिमा है जो भैरव मूर्ति नाम से पूजी जाती है। योगीराज श्री ज्ञानसारजी ने भी इस प्रतिमा का उल्लेख जिन प्रतिमा स्थापित ग्रन्थ में किया है। जिसका लेख (१) ओम् सवत् ३० गच्छे राज कुले सूरि भू च (द)(२) भयचंद्रः (1) तच्छिष्यो () मलचन्द्राख्य (स्त)(३) त्पदा (दां) भोजषटपदः (1) सिद्धराजस्ततः ढङ्ग(४) ढङ्गादजनि (च) ष्टकः। रल्हेति गृहि (णी) (त)(५) (स्य) पा-धर्म-यायिनी। अजनिष्ठां सुतौ। (६) (तस्य) i (जैन) धर्मध (प) रायणी । ज्येष्ठः कुडलको (७) (भ्र) । (ता) कनिष्ठः (कुमाराभिधः । प्रतिमेयं (च) (८)-जिना नुज्ञया । कारिता..........................."(II) अर्थात्-ओम् संवत् ३० वें वर्ष में राजकुल गच्छ में अभयचंद्र नामके आचार्य थे जिनके शिष्य अमलचन्द्र हुए। उनके चरण कमलों में भ्रमर के समान सिद्धराज था। उसका पुत्र ढंग हुआ। ढंग से चष्टक का जन्म हुआ। इसकी स्त्री राल्ही थी. उसके धर्म परायण दो पुत्र हुए। जिनमें से बड़े का नाम कुण्डलक था और छोटे का नाम कुमार । ....... की आज्ञा से यह प्रतिमा बनाई गई है। नगरकोट से २३ मील पूर्व बैजनाथ के मन्दिर में सूर्यदेव के पादपीठ पर जो वस्तुतः महावीर स्वामी की प्रतिमा का पादपीठ है, पर सं० १२९६ में देवभद्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठा का उल्लेख है। यह स्थान पहले कीरग्राम था। १-१ ओं० सवत् १२९६ वर्षे फाल्गुण बदि ५ रवी श्री कीरग्रामे ब्रह्म क्षत्र गोत्रोत्पन्न व्यव० भानू पुत्राभ्यां व्य० दोल्हण-आल्हणाभ्यां स्वकारित श्रीमहावीरदेव चैत्ये २ श्री महावीर जिन मूल बिंब 'आत्म श्रेयो (\) कारित'। प्रतिष्ठितं च श्री जिनवल्लभसूरि संतानीय रुद्रपल्लीय श्रीमदभयदेवसूरि शिष्यैः श्रीदेवभद्र सूरिभिः Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003821
Book TitleNagarkot Kangada Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherBansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti
Publication Year
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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