SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुहगुर खमासमणुत उ आपइ,हियइ कमलि सुह भावण थापइ; राइ हंबीरि समाणियओ ॥४॥ चउदह सइ सत्यासो वरिसे, माह धवल पंचमि गुरु हरिसे; देवालइ सिरि संति जिगु । प्रतिठिउ पावहरणु सुह-निलउ, खोमराजु संघाहिव-तिलउ, कुंकुत्री पुरि पाठवए ॥५॥ देवराजु साजण संघवए, साहणु सिव रुहं (?) सुसज हवए; सहजराजु रणसीह तह । धोधू हीर पमुह देवाल, अवर असंख हुया सिजवाल: बाल रमति रासु रसिहिं ॥६॥ सेणिबद्ध सिजवाल चलंते, अति हरसिहिं खेला खेलंने, सुयण पयक्खण संचरइ। देहडहरि संपत्तउ जाम, सरवर - तीरि अमास्यउं ताम, चहुदिसि चमरा ताणियइ ॥७॥ सरसा पाटण तणा महंत, जोगिणिपुर नरहडह तुरंत, गाढ सुनाम मुलतान नयर । उच्च ठाण सम्माण निवेस, पेरोजाबादह सुहवेस, पुर हिसार सावय मिलिय ॥६॥ तिहि ठामह अह दिन्नु पयाणउ, राउत आल्हू किउ सम्माणउ, धम्मी सवि मनि गहगहिय । .. सुभट सवे हयवरि आरुहिय, असि-मुग्गर-धणु-तोमर-सहिय, संघ वलावई संचरई ॥९।। थलसमुदु हेलइ लंघते, छप्परि चंदुपहु पणमंते, लड्डणु नयरिहि संति जिणु। नागपुरिहिं छहि जिणहर देव, पूज महाधज करि बहु सेव, सुहनिवेसि आवासियउ ॥१०॥ [ १२९ For Personal and Private Use Only Jain Elgationa International www.jainelibrary.org
SR No.003821
Book TitleNagarkot Kangada Mahatirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherBansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti
Publication Year
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy