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विलसित, विद्याधरी सेवित ईश्वर-गौरी का पुत्र गणेश नित्य जय-जय कर से शोभित रहे।
५. देवेन्द्र और देवगणों से पूजित चरणकमल, मुक्ति रूपी नारी के भूषण,
युक्ता युक्त रहस्य विचार में चतुर, धर्मार्थ विस्तारक, हिंसाकार्य विवर्जित दीप्तिमान प्रथम तीर्थङ्कर शंकर आदिनाथ आपको वांछित सुख प्रदान करे।
६. आम्र लुबधारिणी, गन्धर्वो के गीत गान क्रम युक्त, बाँयी गोद में पुत्र
से अलंकृत, विशदशृंगार भूषित, सुदृढ़ पराक्रमी, सिंह वाहन पर आरूढ अम्बादेवी जिसके दाहिने हाथ से पुत्र संलग्न है, हे नर नाथ ! वह देवी आपकी विघ्न बाधाएँ क्षय करे ।
७. सर्वांग विभूषित गिरिजा जिसके अर्धाग में निरन्तर सुशोभित है,
जिसके ललाट पर रात दिन तीसरा नेत्र अग्निमय प्रतिभासित है, जिसके कण्ठ में शमित साँप मणि जटित हार की भाँति अलंकृत है,
हे राजन् ! वह जगत का देव रुद्र, रौद्र भयों से रक्षा करे। ८. गन्धर्व, देव, यक्ष, किन्नर-किन्नरी द्वारा सदा संस्तूयमान, कारुण्य पुण्य
का निकेतन, कमलासन स्थित शंखधारी, कन्दर्प के दर्प को अपहरण करने वाला राजमार्ग में वर्ण्य प्रशंसित कान्ति वाला श्रेष्ठ क्षेत्राधीश
कऊलू तुम्हारे दुखों का क्षय करे । ९. शत्रु के रक्त के समान रक्त तेज से अन्धकार नाशक, नभो मण्डल का
आह्लादक, किरणों से कमल का विकासक, चन्द्रमा की कला संवद्धन में तत्पर, लोकजीवन मेघराजा का जनक, तीब्र प्रतापी हे राजन् !
वह बालसूर्य आपकी राज्य-संपदा की सर्वदा वृद्धि करे। १०. मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह, वामन, रिपुविद्रावण परशुराम, रामचन्द्र
और नारायण बुद्ध और कलंकी (दशावतार) यत्र-तत्र सुन्दर सुरुचिपूर्ण दिखाई पड़ते हैं। तारा, तोतलदेवी आदि गुणों के मन्दिर हैं-इन सब
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