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नमिऊण भाब जुत्तं निय गुरु पय पंकयं हि भत्तीए। तियले सर सयापं कुल वित्थारं भणिस्सामि ॥१२॥
वंशावली पुटिव राओ भूमिचंदो' नरिंदो, देवीजाओ जाणु सग्ये सुरिंदो। उक्विट्ठाणं दापवाणं कयंदो, मिदुप्पन्नो सव्व सुक्खाण कंदो॥१३॥ सग्मं पत्ते भूमिचदे महिंदे, पट्टो विट्ठो सोहए सोमचंदो। रज्जं किच्वा सन्तुवग्गं समग्गं जितो मुत्ति खित्तं पवित्तं ॥१४॥ भूमि सक्क असमक्क नरेसर, दाणि वीरु रणि धीरु कलायर । सोमचंद नंदण दुह भंजण, सरणाइय रक्खण सुबियक्खण ॥१५॥ तयणु अजगत्ता वाएसरी भत्तउ, सरस सुकवित्त तत्तुस्थि अणुरत्तउ । सवल रिउ सत्थ विस्थार खय कारणो, सुकय कम्मेहिं निय रज्ज बित्थारणरे ॥१६॥ तप अजगत्तचंदस्स सुपसिद्धओ, सुहड़ सयलक्ख परिवार संवद्धओ। विमल मय जुत्त सुसरमा रवो सरो, मयण समरूवि महि खंड मंडणसुरो ॥१७॥ सबल दल मेलि कुरुखित्ति संपत्तओ, अइ कुडिल कोवरस भावि संदित्तओ। विषम रण केलि लीलाइ संभूसिओ, विविह भड़ सहि रुद्दोवि संहासओ ॥१८॥ समर वर रंयि भट्टण संवुत्तओ, विमल कुरुखित्ति पत्थेम संजुनओ। भिडिवि बहु भंगि संग्गमि संपत्तओ, विविह ललना विलसिहि संरत्तओ ॥१९॥
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