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रथह सहस इकवीस अट्ठसय सत्तर निम्मल। तित्तिय गय गुड़ियंति सुहड़ सनद्ध भय वल ।। पंचसटि असवार सहस छिय सयय दहुत्तरइ। इक्क लक्ख नव सहस तिन्निसय सट्ट वीर वर ।। असि फारस फर फरकत कर (अ) क्षोहिणिदल मेलि करि । सुसरम्मराउ अजुण सिउ समरंगणि झुज्झिउ सुपरि ॥२०॥
सुसरम्मचंद पुत्तो सूरशम्र्मो थुणिज्जए भवणे। संगम सुरय संगम कलिओ तियतेसरो राओ॥२१॥ तयण हरियंद राओ हरिचंद नरेसरुव्व सत्र रओ। महि मंडलि विक्खाओ वियरण कम्ममि सतुरओ ।।२२।। हरियंद राय तणओ विक्कम विऊलोइ गुत्तिचंद निवो। सिरि सोमगुत्तिचंदो चंदुत्व जणं पमोयंतो ।।२।। ईसाणचंद भूवो रूवेण पराजिओय लच्छि सुओ। वजड़चंद महीसो सुपसिद्धो निय गुणेहिं सया ॥२४॥ वजड़चन्दस्स छओ नाहड़चन्दो महिज्जए भुवणे । धम्म धुरा उद्धरणो क्खय करणो मिच्छ सिण्णाणं ॥२॥
सोमवंसि नाहड़ धर सामिउं, अंबिक माया पूरिय कामिउं। मिच्छ मीर मारण जम सरिसउ, रज करइ निय देसिहि हरसिउ ॥२६॥ सच्चरिहिं पासइ मणोहरि, वोरनाह दिणयह तम खयकरु । नयरि नयरि वर कूव सरोवरु, वावि भवण दोसहिं अइ सुंदर ॥२७॥
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