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अंबा अंबय लबि संगयकरा गंधव्व गीयक्कमा, पुत्तालंकिय वाम अंक विसया सिंगार संभूसिया। सुम्हाणं नर नाह पंचवयणा रूढा दिढ विक्कमे, देवी दक्खिण हत्थ लग्न तणया विग्धक्खयं कुब्वओ॥६॥
अद्धगे गिरिजा विभाइ सययं सव्वंग संभूसिया, भाले जस्सवि लोयणो अणुदिणं अग्गीमओ भासए। कंठे पन्नग सामिओ मणि विभालंकार हारोवमो, रुद्दोरुद्द भयाउ रक्खउ जगद्देवो मही वल्लह ॥७॥
संखके कमलासण ट्ठिय परो कारुण्ण पुणालओ, गंधव्वा सुर जक्ख किन्नर बहू संथव्वमाणा सया। राजावट्टय वज्ण वण्णिय रुई कंदप्प दप्पा पहो, खित्ताधीसवरो करेउ कऊलू तुम्हाण दुक्ख खयं ॥८॥
सत्तुस्सोणिय नेय नासिय तमो चक्कप्पम्मोए रओ, नीरुप्पण्ण विकासणो ससिकला संवद्धणे तप्परो। लोया जीवण मेहराय जणओ तिव्वप्पया बालओ, आइच्चो तुयरन संपइ विहिं पूरेउ संसच्चहा ॥९॥
मच्छ कुम्म वराहु अवरु नरसीहु सुव्वामणु, रिउ विद्दावण परसुराम राघव . णारायणु । बुद्ध कलंकि उदिव्य रुई दीसहि जहिं जहिं सुंदर, तारा तोतल देवि पमुह दीसहिं गुण मंदिर। ए सव्व देव देवी सहिय कंगड़ गढ दीसहि अमल, सुसरम्मिराय निय सत गुणि तियतेसरि थप्पिय सयल ॥१०॥
कंगड दुग्गाहिवयं नरिंदचंदं निवं पमोएण। कवयामि कव्व कुसलं मुक्खो विहु सुपय बंधेण ॥११॥
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