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[समयसुन्दर रासत्रय
तुरत तुरत प्रगट थयउ देवता जी, सुंदर कीधउ सरूप । कुबज कुबज हुँतउ ते देवकुमर थयउ जी, मनोहर मूलगइ रूप ।।८।। हरषित हरषित लोक सकों हुयउ जी, राय राणी उछरंग। भलउ भलउ लोक सको भणईजी, आणंद कुसमवती अंग ।।६।। उलख्यउ उलख्यउ प्रीतम एतउ आपणउ जी,
भागि मिल्यउ भरतार । अपछर अपछर मिली च्यारे एकठी जी, कंत मेल्यउ करतार॥१०॥ महोछब महोछब मोटउ राजा मांडियउ जी, वीवाह नउ विस्तार । धवल धवल मंगल धुनि गावती जी,
वरनइ वखाणइ वार-वार ॥ ११ ।। दु० धन धन धन धन कुसमवती धुया जी, भलउ पाम्यउ भरतार । भगति भगति जुगति भोजन अति भला जी,
दीजई दय दयकार ।। १२ । दु० सुंदरी सुंदरीच्यारेरही सुख भोगवइ जी, सिंहलसिंह प्रियु साथि । समय समयसुंदर कहइ सुकृतथकी जी, हुइ सुख सिगलाहाथि ।१३।
[सर्वगाथा १६८ ]
दूहा ४
कुमरइ पूछथर कुण तु, किम कीधउ उपगार । देव वदइ हुँ देवता, नामइ नागकुमार ।। १ ।। मई तुझ आश्रम मुंकीयउ, पड़तउ पाणी मांहि । कीधउ रूप मई कूवड़उ, चित माहे हित चाहि ॥२॥
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