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प्रियमेलक चौपई ]
[१७ ढाल (८) सोहला री, दुलह किसण दुलहि राणो राधिका जी, एहनी कुमर कुमर सोभागी लाडण कूबड़उ जी, परणई पुण्य प्रमाण । कुसम कुसमवती राजा नी कुयरी जी, रूपई रंभ समाण ॥१॥ दुलह कुमर कुमरी दुलहणी जी, चंद रोहिणि चिर जेम। अविचल अविचल जोड़ी होइज्यो एहनी जी,
प्रतिदिन वाधतइ प्रेम ॥२॥ दु० चतुर चतुर कुमर तोरी चातुरी जी, रीझविया राय राण । अम्हनइ अम्हनइ बोलावी अणबोलती जी,
पणि न कह्यउ जीव प्राण ॥ ३॥ दु० कुबज कुबज कुमर अपछर कुयरी जी, कारिम आरिम कीध । वरकन्या वरकन्या चउथउ मंगल वरतीयउ जी,
दखिणा याचक दीध ॥ ४ ॥ दु० हरख हरख नहीं को हाथ मुंकावणीजी, सालउ कहाइ ल्यइ साप। कुमर कुमर कहइ साप आवउ कूपनउ जी,
आयउ साप तेहिज आप ॥ ५॥ दु० कुमर कुमरनइं झंव्यउ साप तिहां किणइ जी,
___ मुरछित थयउ खिण मांहि । मरण मरण साहस तिहां मांडियउ जी,
सुंदरी छुरी रही साहि ॥ ६॥ दु० कुमर कुमर मुयउ वात न को कहइजी, अम्हे पणि मरिस्य आज। अम्हनइ अम्हनइ सरण हिव एहनउ जी, कुण जीव्या नउ काज।७।
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