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________________ [समयसुन्दर रासत्रय ढाल १ राग-रामगिरी चाल-नयरी द्वारामती कृष्ण नरेस, एहनी सिंहलदीप सिंहल राजान, सिंहली राणी जीव समान । सिंहलसिंह कुमर अति सूर, प्रगट्यउ पुण्य तणउ अंकूर ॥१॥ माइ बाप नई मानई घणुं, एतउ लक्षण उत्तम तणुं । दीसई रूपइं देवकुमार, चालई उत्तम कुलि आचार ॥२॥ कुमरइं सीखी बहुतरि कला, व्यसन सात कीया वेगला। पर उपगारी परम कृपाल, रूड़ा बोलइ वचन रसाल ॥३॥ साहसीक पराक्रम सार, परदुख कातर पुण्य प्रकार । विनयवंत अनइं जसवंत, सकल कला गुण मणि सोभंत ॥४॥ एहवई मास वसंत आवियउ, भोगी पुरषां मनि भावियउ। रूड़ी परि फूली वणराइ, महकइ परिमल पुहवि न माइ ॥५॥ सखर घणुं मउऱ्या सहकार, मांजरि लागी महकइ सार । कोयलि बइठी टहुका करइ, साखा ऊपरि मधुरइ सरइ ॥६॥ छयल छबीला नर छेकाल, गायइं वायई बाल गोपाल । चतुर माणस ते हाथे चंग, मेघनाद वाजईमिरदंग ॥७॥ फूटरा गीत गायई फागना, रसिक तेह कहई रागना। ऊडइं लाल गुलाल अबीर, चिहुँ दिसि भीजइ चरणा चीर ॥८॥ नगर मांहि सको नरनारि, आणंद क्रीड़ा करई अपार । ढलती रामगिरी ए ढाल, समयसुन्दर कहइ वचन रसाल ॥६॥ [सर्व गाथा १५] Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003820
Book TitleSamaysundar Ras Panchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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