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( ६२ ) से शिक्षा प्राप्त कर शुद्ध क्रिया करने में तत्पर हो गया और मर कर सौधर्म देवलोक में देव हुआ, वहां से च्यव कर पुण्यसार हुआ है। पूर्व पुण्य के प्रभाव से इसे देवता का सानिध्य मिला और संपदा प्राप्त हुई। ५ समिति और ३ गुप्ति इन
आठों में इसने कायगुप्ति कष्ट से पालन की थी, जिससे सात "स्त्रियाँ तो सहज और आठवीं कष्ट से मिली। - पुरन्दर सेठ पुण्यसार को गृहभार सौंप कर दीक्षित हो गया। पुण्यसार ने भी चिरकाल तक श्रावकधर्म पालन कर अन्त में पुत्रादि से विदा लेकर संयममार्ग स्वीकार किया और अनशन पूर्वक समाधि मरण प्राप्त किया। कविवर समयसुन्दर ने यह चौपई शांतिनाथ चरित्र के अनुसार निर्माण की है।
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समयसुन्दर रास पञ्चक
सूचनिका 'विषय १ प्रियमेलक तीर्थ प्रबन्धे सिंहल सुत चौ० २ वल्कलचीरी चउपई ३ चम्पक सेठ चउपई ४ व्यवहार शुद्ध विषये धनदत्त श्रेष्ठि चरपई ५ पुण्यसार चरित्र चउपई
रासों में प्रयुक्त देशी सूची
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