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देव ने सातवें दिन वर प्राप्त होने का निर्देश किया है। सेठ ने लम्बोदर के आदेशानुसार विवाह मण्डप रच कर विवाह की सारी तय्यारी कर रखी है आज ही लग्न दिवस है, अतः वल्लभी चल कर आज यही कौतुक देखा जाय ! दोनों एक मत होकर वल्लभी जाने को प्रस्तुत हुई और मंत्रोच्चार किया तो वट वृक्ष उड़ ‘कर वल्लभी के उद्यान में आ उतरा। दोनों देवियां नायिका रूप धारण कर सेठ के घर की ओर चली । कुमार भी कोटर में से निकल कर पीछे-पीछे हो गया। जब वे विवाह मंडप में गई
और पुण्यसार को देखते ही सेठ ने कहा कि आप लम्बोदर देव द्वारा प्रेषित हमारे जामाता हैं अतः सातों पुत्रियों से पाणिग्रहण कीजिये ! पुण्यसार को वस्त्राभरण से सुसज्जित कर विवाहचौरी में बिठाया गया और सातों कन्याओं से पाणि‘ग्रहण करवा दिया।
पुण्यसार विवाह के अनन्तर सातों स्त्रियों के साथ महल में गया और उनके साथ प्रश्नोत्तर, श्लोक रचना आदि में थोड़ा समय बिताया। उसके मन में वट वृक्ष के लौट जाने की “चिन्ता थी। उसकी चेष्टाओं से अनुमान कर गुणसुन्दरी ने 'पूछा-आपको देह चिन्ता के लिए जाना हो तो मेरे साथ नीचे चलिए ! वह तुरत गुणसुन्दरी के साथ नीचे आया और खड़िया से दीवाल पर तुरन्त निम्नोक्त दोहा व श्लोक लिख दिया
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