________________
( ५६ )
पर उसने निश्चय किया कि अवश्य ही पुण्यसार ने हार को गायब किया है अन्यथा घर में रखी गुप्त वस्तु कहाँ जाती ? उसने पुण्यसार को बुला कर डाँटा तो उसने सच्ची सच्ची बात बतला दी। सेठ कुपित तो था ही, उसने पुत्र को घर से बाहर निकाल दिया । पुण्यसार नगर से बाहर आया और सन्ध्या हो जाने से रात्रि व्यतीत करने के लिए वटवृक्ष के कोटर में बैठ गया ।
घर जाने पर सेठ को पुण्यवती ने पूछा- पुत्र कहाँ ? उसने कहा मैंने शिक्षा देने के लिए -अभी का अभी हार लाओ ! कह कर घर से निकाल दिया ! पुण्यवती ने इसके लिए सेठ को बड़ा उपालंभ दिया और पुत्र को खोज कर लाने का कहा । सेठ पुत्र को खोजने के लिए सारे नगर में घूमने लगा । जब बहुत देर तक पति व पुत्र दोनों नहीं लौटे तो पुण्यवती अपनी मूर्खता के लिए पश्चाताप करने लगी ।
पुण्यसार ने वटवृक्ष पर बात करती हुई दो देवियों को देखा और ध्यान देकर उनकी बातें सुनने लगा । एक ने कहा इस चाँदनी रात में कहीं घूमने चलें ! दूसरी ने कहा- कहीं कौतुक वार्त्ता हो तो देखें, अन्यथा निष्प्रयोजन घूमना व्यर्थ है ! प्रथम ने कहा- वल्लभी नगरी में सुन्दर सेठ के सात पुत्रियां ब्रह्मसुन्दरी, धनसुन्दरी, कामसुन्दरी, मुक्तिसुन्दरी, भागसुन्दरी, सुभागसुन्दरी और गुणसुन्दरी नाम की है । जिनके वर की चिन्ता में सेठ ने गणपति को मनाया और गणपति
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org