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( ४५ ) कर छुड़ा मँगाया। महासेन को अब अपने पाँचों रत्न मिल. गए। इतने ही में पूर्व संकेतानुसार कपटकोशा को बधाई मिली कि आपकी बहिन स्वस्थ हो गई है उसने कहलाया है कि आप यहाँ आने का कष्ट न करें। मैं स्वयं मिलने के लिए आ जाऊँगी ! वेश्या प्रसन्न होकर नाचने लगी। महासेन भी रत्न प्राप्ति के हर्ष में नाचने लगा, तो वंचनामति भी उनके नाच में सहयोगी हो गया। लोगों ने जब इसका कारण पूछा तो वेश्या ने बहिन के जीने का, महासेन ने रत्न प्राप्ति का कारण बतलाया। वंचनामति ने कहा-मैं अपने जीवन में आज ही कपटकोशा से ठगा गया हूँ, जिसने मेरे महल को अडाने रखा कर महासेन के पाँच रत्न वापस दिला दिए । इसने खूब किया,. यह सोचकर नाच रहा हूँ। इसके बाद वंचनामति ने विरक्ति पाकर तापस का व्रत स्वीकार कर लिया। कपटकोशा को सब लोग धन्यवाद देने लगे। महासेन अपने नगर में आकर सुख-. पूर्वक रहने लगा। ___ एक बार उसके देश में महान दुष्काल पड़ा, जिसका वर्णन कविवर ने दूसरे खण्ड की छठी ढाल में विस्तार से किया है और सं० १६८७ के भयंकर दुष्काल से उसका तुलना की है। . महासेन ने इस दुष्काल के समय पाँचों रत्न बेचकर धान्य का प्रचुर संग्रह किया और सार्वजनिक दानशाला खोलकर दीन-दुखियों का बड़ा उपकार किया। जो लोग संकोच व
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