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________________ ( ४० ) व्यापार विस्तार किया कि उसके ६६ कोटि मुद्राएँ निधान में १६ कोटि व्यापार में एवं ६ कोटि व्याज सूद में लगती थी। उसके १००० वाहन, १००० गाडे, १००० सतमंजिले घर, १००० दुकानें, १००० भण्डशालाएँ, ५०० हाथी, ५०० अंगरक्षक, ५००० घोड़े, ५००० सुभट, ५०० ऊँट, १०००० पोठिये, १ लाख बलद, १०० गोकुल (प्रति १०००० गायें), १०००० व्यापारी थे। उसके घर में लाख रुपया प्रतिदिन का खरच था। १० लाख दान-पुण्य में खरच होते। वह प्रति दिन देवपूजा, सामायक, प्रतिक्रमण, स्वधर्मीवात्सल्य किया करता। उसने १००० जिनालय एवं लाखों जिन बिबादि का निर्माण करवाया। पूर्व जन्म वृतान्त___एक बार चम्पापुरी के उद्यान में केवली भगवान पधारे। चंपक ने उनके चरणों में उपस्थित होकर अत्यन्त विनय-भक्ति से उपदेश श्रवण किया। अन्त में उसने पूछा-भगवन् ! मैंने पूर्व जन्म में ऐसे क्या पुण्य किये थे, जिससे इस जन्म में अगणित लक्ष्मी मिली ? वृद्धदत्त ६६ कोटि मुद्रा पाकर भी भोग न सका, मेरा अज्ञात कुल होने पर भी वृद्धा ने अत्यन्त प्रेम से पालन किया, मुझ निरपराध को मारने के लिए वृद्धदत्त ने क्यों बारम्बार प्रयास किये ? केवली भगवान ने कहा इन सारी बातों का कारण पूर्व जन्म में किये हुए अपने शुभाशुभ कर्मों का विपाक है, उसे ध्यान पूर्वक सुनो! Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003820
Book TitleSamaysundar Ras Panchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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