________________
( ३० ) कौन मेट सकता है ? मंत्री ने कहा-मैं बुद्धिबल से तुम्हारा लेख विघटन कर दूगा और तुम देखती ही रहोगी! .. एक बार मथुरा पर शत्रु सेना का आक्रमण हुआ जिसके साथ युद्ध में वहाँ का राजा हरिबल काम आ गया। मथुरा को लूट कर शत्रुओं ने अपना राज्य जमा लिया। राजकुमार हरिदत्त और मंत्रिपुत्र मतिसागर दोनों नगर से भाग छूटे
और भिक्षावृत्ति करते हुए लखमीपुर गांव में पहुंचे। हरिदत्त ने पहले तो एक व्याध के घर काम किया, पीछे अपनी एक स्वतंत्र झोंपड़ी बाँध कर रहने लगा वह शिकार में एक ही जीव प्रतिदिन प्राप्त करता । मतिसागर भी उसी गाँव में इंधन की एक भारी लाकर जैसे तैसे अपना पेट भरता। एक दिन सुबुद्धि मंत्री घूमता फिरता लखमीपुर पहुँचा और उसने अपने पुत्र को इंधन की भारी लाते हुए देखा। उसने कहा बेटा ! यह क्या ? उसने कहा दिन भर धूप सह कर भी एक से दो भारी इंधन नहीं ला सकता! जैसे तैसे दिन निकालता हूँ एवं राजकुमार भी शिकार में एक ही जीव पाकर दिन पूरे करता है ! मंत्री ने मन ही मन सोचा विधाता की बात सच्ची हो रही है पर मुझे उद्यम कर के इनका भाग्य अवश्य ही पलटना है। ___ मंत्री ने मतिसागर से कहा बेटा! जंगल में जाओ पर चंदन की लकड़ी के सिवा दूसरी लकड़ी पर हाथ न डालना ! यदि संध्या पर्य्यन्त चंदन न मिले तो भूखे ही सो जाना ! फिर मंत्री ने राजकुमार से उसका वृतान्त पूछा तो उसने भी कहा
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org