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( २८ )
लाकर कहा कि मैंने तुम्हारा कथन अन्यथा कर दिया है । ज्योतिषी ने निर्भयता पूर्वक कहा - ( अभी ७ दिन में क्या होता है देखिये) होनहार नहीं मिट सकती ।
जब राजकुमार सर्प विष से नीला होकर अचेत हो गया तो बहुत से गारुड़क, वैद्य लोगों को बुलाकर उसे निर्विष करने - का प्रयत्न किया गया पर असफल होने पर बड़े वैद्य की राय से उसे एक मंजूषा में बन्द कर गंगा में प्रवाहित कर दिया गया। गंगा में बहती हुई वह पेटी समुद्र में प्रविष्ट हुई। उस समय तिमंगली ने सोचा उर्द्धमुख कर कुमारी की पेटी को उठाये कष्ट पाते हुए मुझे सात दिन होने आए । अतः अब थोड़ा आराम कर लूँ । उसने पेटी को समुद्रतट पर रख दी और - स्वयं समुद्र में केलि करने के लिए चली गई । राजकुमारी पेष्टी से बाहर निकल कर समुद्र का दृश्य देखने लगी, उसने राजकुमार वाली पेटी को समुद्र की लहरों में बहती देखकर बाहर निकाल ली। राजकुमारी ने पेटी खोलते ही विषाक्त राजकुमार को 'देखकर अमृतपान कराया और अपने हाथ में रही हुई मुहरा की निर्विष मुद्रा के प्रयोग से राजकुमार का सारा जहर उतार दिया। दोनों ने एक दूसरे को पहिचान कर पूरा वृतान्त ज्ञात कर लिया और धूलि की ढिगली करके परस्पर गंधर्व्व विवाह - कर लिया ; राजकुमारी ने समुद्रतट पर रहे हुए बहुत से मोती, माणिक प्रवाल आदि संग्रह कर लिए और दोनों ने गठबंधन प्यूर्वक पेटी में प्रविष्ट होकर वापस उसी प्रकार पेटी बंद कर
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