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पुत्र होंगे जो बड़े होने तुम्हें कोई भय नहीं है,
के राजा दशरथ के यहाँ राम-लक्ष्मण पर तुम्हें मारेंगे ! उनके सिवा दूसरा भावी को कोई मिटा नहीं सकता । इस बात की प्रतीति के. लिए देखो आज से सातवें दिन रत्नस्थल के राजकुमार का विवाह चन्द्रस्थल की राजकुमारी चन्द्रवती से होगा अन्यथा हो जाय तो तुम भी निर्भय हो सकते हो ! रावण ने कहा - इसका क्या ? यह तो अन्यथा करना बिलकुल आसान है ! ज्योतिषी ने कहा - यदि मैं झूठा पड़ा तो पंचांग फ अपनी जनोई तोड़ डालूँगा !
यदि यह
सात
रावण ने ज्योतिषी की बात मिथ्या करने के लिए राक्षसों को भेजकर बरनोले घूमती हुई राजकुमारी को हरण कर अपने यहाँ मंगा लिया। उसने दांत की पेटी में खान पान की सारी सामग्री सहित राजकुमारी को बन्द कर विद्यादेवी को आदेश दिया कि तुम तिमंगली - मत्स्य का रूप कर अपने मुँह में पेटी रख कर गंगासागर के संगम पर रहो । दिन पूरे होने पर जब मैं तुम्हें याद करूँ तब आ जाना | तिमंगली, रूपी देवी गंगासागर में उद्धमुख करके रहने लगी । कुमारी चन्द्रावती के भय और चिन्ता का कोई पारावार नहीं था। अब रावण ने तक्षक नाग को बुलाकर आदेश दिया कि. रत्नदत्तकुमार जो चन्द्रस्थल के लिए रवाना हुआ है उसे जाकर तुरंत सर्पदंश द्वारा निर्जीव कर दो। वह भयंकर विषधर कुमार को डस कर रावण के पास आया तो रावण ने ज्योतिषी को
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