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________________ १४६ ] [समयसुन्दर रास पंचक दस दृष्टान्ते दोहिलउ सु० ए मानव अवतार ॥ स०॥ आरिज खेत अरिहंत नउ सु० धर्म सुणण गुणधार ॥ स० ॥२॥ सद्दहणा सूधी वली सु० करणो कठिन विचार ।। स० ॥ परम अंग परमेसरइ सु० कह्या कठिन ए च्यार ।। स० ॥३॥ दान धरम सब दुख दलइ सु० सील परम सिणगार ॥स०॥ तप तोड़इ क्रम आकरा सु० भावना मुगति भंडार ||साह।। कारमी ए काया कही सु० खिरइ एक खिण माहि ।स०॥ कुछित मल नी कोथली सु० सोलह रोगां सांहि ।।स०॥५॥ पाका पान ज्युं खिर पड़इ सु० अथिर अछइ ए काय ||स०॥ संझ राग सिरखी कही सु० जल बिंदु जिउ मंजाइ ।स०॥६।। बन्धु सही विहड़इ नहीं सु० पुत्र विहडइ पापयोग ।।स०॥ मित्र महेला मात जी सु० स्वारथ मिलइ संयोग ।।साणा तरु पंखी मेलउ तिसउ सु० एकठा आवी थाय ।स०॥ जनम मरण थी जीवनइ सु० राखइ नहीं को राय ।स०॥८॥ मरण थकी को नवि मित्र्यउ सु० धरतीपति छत्रधार ||स०॥ माल मुलक महिला तजी सु० अवसर भए अणगार ।६।। इम अनित्य सब जग अछइ सु० वरजउ विषय विकार ।।स०॥ अनरथ छइ तिहाँ अति घणउ सु० दुरगति ना दातार ।।स० ॥१०॥ धरम बिना सहु धंध छइ सु० पूत कलत्र परिवार ॥स०॥ सूधइ चिन्त ध्रम साचवउ सु० पामो ज्युं भव पार ।।स०॥११॥ ए उपदेश सुणी करी सु० प्राणी बहु प्रतिबुद्ध ॥स०॥ चवदमी ढाल रसाल सु० सरस गउड़ी राग सुद्ध ।स०॥१२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003820
Book TitleSamaysundar Ras Panchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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