SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 8 ) करमोचन के समय कुमार को एक ऐसी अद्भुत कथा दी जो प्रति दिन खंखेरने पर सौ रुपये देती थी, इसके साथ एक आकाश-गामिनी खटोली भी दी, जिस पर बैठकर स्वेच्छानुसार जा सके। कुमार अपनी नव परिणीता पत्नी के साथ खटोली पर आरूढ़ हो गया, खटोली ने उसे कुसुमपुर के निकट ला उतारा। रूपवती को धूप और गरमी के मारे जोर की प्यास लग गई थी। अतः कुमार जल लाने के लिये अकेला गया। ज्योंही वह जलकूप के निकट पहुँच कर पानी निकालने लगा एक भुजंग ने मनुष्य की भाषा में अपने को कुए में से निकाल देने की प्रार्थना की। कुमार ने उसे लम्बा कपड़ा डालकर बाहर निकाला। साँप ने निकलते ही उसपर आक्रमण कर काट खाया जिससे कुमार कुजा और कुरूप हो गया। कुमार के उपालम्भ देने पर साँप ने कहा-बुरा मत मानो, इसका गुण आगे अनुभव करोगे। तुम्हारे में संकट पड़ने पर मैं तुम्हें सहाय करूंगा। कुमार सविस्मय जल लेकर अपनी प्रिया के पास आया और उसे जल पीकर प्यास बुझाने को कहा। रूपवती ने कुब्जे के रूप में पति को न पहिचान कर पीठ फेर ली और तुरन्त वहाँ से प्यासी ही चल दी। उसने इधर-उधर घूम कर सारा वन छान डाला, अन्त में पति के न मिलने पर निराश होकर वहीं जा पहुंची जहाँ प्रियमेलकं तीर्थ की शरण लेकर दो तरुणियाँ बैठी थीं। रूपवती भी उसके 'पास जाकर मौन तपस्या करने लगी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003820
Book TitleSamaysundar Ras Panchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy