SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२] [समयसुन्दर रासत्रय राजा पूछ कां रूऔ, कहि ताहरु दुख भाजु रे। न्याय तपास करूं नहीं, हौ हुँ लोक में लाजु रे ।।६।। अ० सुण राजन कहै डोकरी, हुँ, वसु ताहरै गामो रे। वेढ राढ न करूं कदे, ल्यु नहीं केहनौ नामो रे ॥१०॥ अ० अहो अहो राजा कहै, डोकरी केहवी सुशीलो रे । साध माणस मसकीन छ, एहनी करवी सबीलो रे॥११॥ अ० डोकरी कहै दुख आपणो, हुँ छु चोर नी माता रे । ते चोरी कर गाम मैं, बड़ो चोर विख्याता रे ॥१२॥ अ० आज चोरी करवा गयौ, देवदत्त घर पैठो रे। खात्र देवा नी खांत सु, भीत हेठ जई बैठो रे ।।१३।। अ० भीति हुँती ते जाजरी, ऊपर पडी ते वांसे रे। मूओ पुत्र ते माहरौ, इवड़ी वात को सांसे रे॥१४॥ अ० एक हीज बेटौ हुतौ, एहनौ दुख अपारौ रे। किम जी किम पर टबु, हिव मुझ कोण आधारो रे ॥१॥ अ० कहै राजा सुण डोकरी, हुँ तुझ दुख गमेसुरे। तुझ नहीं दोस तुजा घरे, देवदत्त नै दंड देसुरे॥१६॥ अ० माणस मूकी तेडावियौ, देवदत्त तिहां आयौ रे । राजा रीस करी घणी, देवदत्त डरपायो रे ॥१७|| अ० भीत करावी का जाजरी, जाण्यु नहीं चोर मरस्य रे। आ हिव बापड़ी डोकरी, कहौ केही पर करस्यै रे ॥१८।। अ० देवदत्त चित्त चीतव, माथा थी हुँ ऊतारु रे। कहै राजन तुम्हें सांभलौ, दूषण को नहीं अम्हार रे ॥१६॥ अ० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003820
Book TitleSamaysundar Ras Panchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy