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[ समयसुन्दर रासत्रय
तूं कुलदीपक तूं करण, दिन प्रति दान दिवाइ । कीरति सुणि कांइ दीजिय, कीरतिदान कहाइ ॥ ६ ॥ अनुकंपादिक दान जे, त्रिहुँ तणौ फल एह । संसार ना सुख पामी, लहिये लाछि अछेह ||१०|| ढाल १ - पोपट चाल्यौ रे परणवा, ए देशी
चिहुँ दिसि चावी चंपापुरी, पूरव देश प्रसिद्ध । बड़ा बड़ा वसे विवहारिआ, सगला रिद्धि समृद्ध ॥१॥ चौरासी चौहटा जिहां, मनोहर नगर मकार । सगा मां बाप बिना सहू, सखरा लाभ श्रीकार ||२|| चि० सुरहीयां ना हाट सामठा, चोवा मांड्या चंपेल । कपूर कस्तूरी ना हाट कुंपला, मह महता मोगरेल || ३ || चि० गांधी मांड्या रे गोफुला, तवखीर तज्ज तमाल ।
कोथली माल || ४ || चि० हाटां विचाल ।
सोपारी फाल ||५|| चि०
ओषध वेषध अतिघणा, कूल्हड़ी तंबोली पणि तिहां घणा, बैठा बोलै बीड़ा ल्यौ पानना, सखरी सखर कंदोई कीया सुखड़ा, दीठां पणि गलै दाढ, खाये लाडू नै खाजला, दांते दाढे दे वाढ ||६|| चि० सोनार घाट घड़े सदा, कुंडल बोडी कणदोर । Watch समय नै वाला, पणि ते चौहटा ना चौर ||७|| चि० मणिहार मांड्या रे मुंगीया, प्रोया मोती प्रवाल । कूंकू सिंदुर कुंपला, भलो दीसै तिण भाल ॥८॥ चि
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