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[ समयसुन्दर रासत्रय
भाई मिलइ इवड़ भाग किहां थी, वलकलचीरी वीर । मु० आंखे दड़ दड़ आंसू नांख, दुख करइ दिलगीर मु० ||३|| नाटक गीत विनोद निषेध्या, जीवण थयउ विष जेम | मु० निस सूतां पण नीद्र न आवइ, कहउ हिव कीजइ केम मु० || ४ || राजसभा दिलगीर थई सहु, दिलगीर थयउ दीवाण । मु० जिम राजा तिम प्रजा थई जिहां, सहु नइ दुक्ख समाण मु० | ५|| इ अवसर नर राय अनोपम, सबद सुण्या निज कानि । मु० सोहागिण सोहलानी ढालइ, गायइ गीत नइ गानि । मु० ||६|| धप मप धप मप धुधुमिधोंधों, मादलाना धोंकार । मु० नरपति बोल्यउ नरति करउ रे, मूरिख कउण गमार मु० ॥७॥ हुँ दुखियउ चिंतातुर एहवु, ए करइ महुच्छव एम। मु० जोवा काजि मुक्या आपण जण, कहउ ए वाजित्र केम मु० ॥८॥ तिवार पहिली वेश्या तिहां आवी, बोलइ बेकर जोड़ि । मु० सुणि राजन विरतांत कहुँ सहु, खरउ कहतां नवि वौड़ि मु० ॥ ॥ इक दिन एक निमित्ती आयउ, अम्ह मंदिर अतिजाण । मु० तुं कन्या तेहने परणावे, दीसइ रिषि दूकाण मु० ॥ १०॥ अणतेड्यउ तेहवइ एक आयउ, मुझ मंदिर मुनि आज । मु० मई माहरी कन्या परणावी, स्वामित करि सहु साज मु० ||११|| वाजित्र तिण कारण मुझ वाजइ, प्रगट्यउ आणंद पूर । मु० गीत गाय वीवाह ना गोरी, सहु घर मांहि सनूर, मु० ||१२|| नाथ तुम्हारी वात न जाणी, देश धणी दिलगीर | मु० ए अपराध खमउ अलवेसर, गिरुआ सजि गंभीर मु० || १३ |
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