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[समयसुन्दर रासत्रय कहइ तापस नीरस ए किसां, रू० हारे० फल खायइ तुं फोकट्ट। इम कही नइ फल आपणां, रू० हारे० प्रवर ते बील प्रगट्ट ॥७॥ सखर सवाद फल नउ चाखीयउ, हारे० हाथ लगाड्यउहीयाबारि। कहइ रिषि तुम्हारइ हीयइ किसुं, रू० हारे० ए फल तणइ
___अणुहारि ॥८॥ आम्हारइ आश्रमि फल एहवा, रू० हारे० सखर घणउ सुसवाद। अंगफरस तापस अति भलउ, रू०हारे० प्रामीयइ पुण्यप्रसाद ।। अंगनइ संयाल आश्रम अम्हतणउ रूहारे०जउ हुंसि फलनी होई। तउ तुम्हे आवउ आश्रमि अम्ह तणइ रू० हारे० सखर आश्रमि
छइ सोइ ॥१०॥ मीठां नइ लागां फल मन गम्या रू० हारे० अंग फरस श्रीकार; जीभनउ विषय रे जीपतां दोहिलउ रू० हारे० कुण जीपइ काम
विकार ॥११॥ मुझ ले जावउ पोतन आश्रमइ रू० हारे० काउ संकेत नउ थान । संच करी नइ नारि ले नीसरी रू० हारे०१ जीवन फल
परिधान ॥१२॥ रूख उपरि राख्या टुकीया रू० हारे० करइ मत कोइ केड़ि। वतायउ सोमचंद पूठि आवतउ रू० हारे० वनिता नासी गई
वेडि ॥१३॥ वलकलचीरी वनि एकलउ रू० हारे० तापस न देखइ तेह' । भयभ्रांत थक उ वनमई भमइ रू० हारे० पूठउ गयउ बाप प्रेम ।१४।
... १ ताजा वलकल
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