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[समयसुन्दर रासत्रय वइरागइ मन वालियउ, कुण पिता कुण पुत्रो जी, कुटुंब सहू को कारिमउ, सहु स्वारथ नउ सूत्रो जी। सहु स्वारथ नउ सूत्र दीज्यइ, मइ हिंसा कीधी महा, भारी क्रमइ मइ पिंड भास्यउ, हुँ नरगइ जाइस ह हा !! आवस्यइ आडउ नहीं कोई, हीया मांहि निहालियउ, मुनि एम पच्छाताप मांड्यउ, वइरागइ मन वालियउ ॥४॥ ध्यान भलउ हीयड़इ धस्यउ, लोच थी प्रतिबोध लाधउजी, पाप आलोया आपणा, सूध थयउ वलि साधो जी। सूधउ थयउ वलि साध ततखिण, करम बहुल खपाविया, जिम पड्यउ तिम वलि चड्यउ ऊंचउ, ऊत्तम परणाम आवीया । भावना बार अनित्य भावी, अति विसुद्ध आतम कर्यउ, मूलगी परि मुनि रह्य उ काउसगि, ध्यान भलउ हीयडइ धर्यउ।५ पूछिउ श्रेणिक प्रभु प्रति, रिषि बालक नइ राजो जी, दे नइ कां दीख्या ग्रही, कुण पड्यउ ए काजो जी। कुण पड्यउ ए काज प्रभु कहइ, सुणि पोतननगरी तणउ, सोमचंद राजा प्रिया धारिणी, तेज प्रताप तपइ घणउ । प्रेमइ करइ प्रिउ तणउ माथउ, जोवती लीला गतइ, एक पली दीठउ कान ऊपरि, पूछिउ श्रेणिक प्रभु प्रतइ ॥६॥
देव देखउ दूत आवियउ, कहइ राजा ने केथो जी, । नयणे दूत दीसइ नहीं, ए नावइ किम एथो जी। ए नावइ किम एथि, राणी, कहइ राजन सांभलउ, पली रूप पुरुष ए दूत जमनउ, झबकि मन प्रियु झलफलउ ।
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