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________________ ३० ] बालक थाप्य वइरी वहिला बइयर थारी बापड़ी, पडिस्यइ बंदि नंदन मारी नांखिस्यइ, दल मुंहडे पुत्र मुआं पछी पापीया, तू जाइसि पितर पिंड लहिस्rs नहीं, रोस्यइ बइठा पुत्र विण गति किम पामियइ, कीधुं तई स्युं मुख जोइयइ नहिं मूल तुझ, नवि लीजइ तुझ दुष्ट वचन दुरमुख कही, आगइ चाल्यउ रौद्र ध्यान ते रिषि चड्या, साल्यउ पुत्र रौद्र ध्यान माहे राउ, चूकउ चितवइ मन सुं संग्राम मांडीयउ, जुद्ध करीजइ हथियार लीधा हाथमइ, घा मारइ अति वयरी सुं विढतां थकां सबलो उठ्यो [ समयसुन्दर रासत्रय बापड़, नान्हउ घणू निपट्ट | वीटिस्यइ, नगरी घणू १. आण्यउ चित्त उच्छाह, Jain Educationa International निकट्ट ||३|| प्रगट्ट | दहaट्ट ||४|| For Personal and Private Use Only निस्तान । रान ॥ ५॥ काम | नाम ||६|| एह । सनेह ||७|| खडग सुं वइरी खंडिया, आण्यउ एहवो ध्यान । एहवइ श्रेणिक आवियर, साधनइ द्यइ सनमान ||१०|| एम । जेम ॥८॥ तुरत हाथी थी ऊतरी, प्रणम्यां मुनि ना पाय । वीर जाइ नइ वांदिया, चरणे' चित्त लगाय ||११|| [ सर्व गाथा ४३ ] घोर । सोर ||६|| www.jainelibrary.org
SR No.003820
Book TitleSamaysundar Ras Panchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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