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[ ३७ ] का अधिपति होगा! ज्योतिषी के विवाह लग्न देने पर सेठ ने स्वजन सम्बन्धियों को निमन्त्रित कर विवाहमण्डप की रचना की एवं नाना प्रकार की विवाह सामग्री का संचय बड़े जोर-सोर से करना प्रारम्भ कर दिया। नगर में वर के बिना व्याह मंडने की बड़ी भारी चर्चा चल रही थी। राजा ने जब यह बात सुनी तो उसने सेठ महेश्वरदत्त की वैराग्य-भावना की बड़ी प्रशंसा की और वह भी त्रिलोचना के पति की खोजकर उसे राजपाट देकर दीक्षा लेने का प्रबल मनोरथ करने लगा। राजा ने सर्वत्र उद्घोषणा करवा दी कि जो त्रिलोचना के पति व मदालसा का वृत्तान्त प्रकाशित करेगा उसे राज्याधिपति बनाने के साथ-साथ माहेश्वरदत्त की पुत्री सहस्रकला के साथ विवाह करा दिया जायगा। एक मास बीतने पर एक शुक ने आकर पटह स्पर्श किया और मानव भाषा में बोलकर कहा मुझे राजसभा में ले जाओ मैं राजा के जमाता और मदालसा का सारा वृत्तान्त बताकर राजा का राज्य व सहस्रकला को प्राप्त करूँगा। सब लोग उसे कौतुकपूर्वक राजसभा में ले आए। शुक ने मनुष्य की भाषा में कहा-परदे के अन्दर त्रिलोचना और मदालसा को बुलाकर उपस्थित कीजिए ताकि मैं सारा आख्यान कह सुनाऊँ। राजा ने कहा-तुम ज्ञान के बिना त्रियंच किस प्रकार सारी बातें जानते हो ? शुक ने कहा- मैं त्रिकालज्ञ हूं, भूत भविष्य की सारी बातें बतलाने में समर्थ हूं।" फिर शुक ने राजा और समस्त नागरिक लोगों के समक्ष अपना वक्तव्य प्रारम्भ किया
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