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________________ की बात से भ्रमरकेतु यह ज्ञातकर चिन्तित हुआ कि देवकुमर के योग्य मेरी पुत्री को मानव क्यों ब्याहेगा ? उसने तत्काल इस सुरक्षित कूपद्वार वाले प्रासाद में कुमारी मदालसा को मेरे संरक्षण में रख दिया ताकि उससे कोई भी मनुष्य ब्याह न कर सके। __ भ्रमरकेतु ने अभी फिर दूसरे ज्योतिषी से मदालसा के ब्याह के सम्बन्ध में प्रश्न किया तो उसने भी उपर्युक्त बात कही। जब प्रतीति के लिए राक्षसेन्द्र ने उसे पूछा तो वह कहने लगासांयात्रिक जन को मारने के लिए जाने पर द्वीप में उस अकेले ने तुम्हें जीता है। यह सुनकर भ्रमरकेतु सदलबल उसे मारने की प्रतिज्ञा कर यहाँ से गया है पर आज एक महीना हो गया, कोई खबर नहीं मिली ? वृद्धा से उपर्युक्त वृतान्त सुनकर कुमार सोचने लगा-वह लाख प्रतिज्ञा करे, मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता, मैं उसे पराजित करके आया हूं, मेरे सामने उसकी क्या विसात है। इतने ही में मदालसा वहाँ आ पहुँची। वे दोनों परस्पर एक दूसरे के सौन्दर्य को देखते ही मुग्ध हो गए। मदालसा ने ऊपर जाकर वृद्धा को अपने पास तुरन्त बुलाया और पूछा कि तुम्हारे पास शुभलक्षण वाला पुरुष कौन खड़ा था ? वृद्धा ने जब दोनों का परस्पर प्रेम जाना तो उनका गन्धर्व विवाह करा दिया और मणिरत्नादि विविध वस्तुएँ देते हुए वृद्धा ने उन्हें आशीर्वाद दिया। मदालसा के साथ उत्तमकुमार ने घूम-फिरकर बाग-बगीचे, जलाशय आदि देखे व सुखपूर्वक रहने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003819
Book TitleVinaychandra kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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