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श्री उत्तमकुमार चरित्र चौपई १६५ एहवा हितवछल मावीत,
हुँ दुखदायक थयौ अविनीत ; रा० १५ शीघ्र चलूँ नीसाण वजाय,
सुख द्युमात पिता नै जाय ; रा० इम उच्छक थयौ मिलण कुमार,
. मात-पिता नै तेणी वार ; रा० १६ सचिव भणी निज राज्य भलाव,
चाल्यो चतुरंग सेन मिलाय ; रा० वाणारसी नगरी भणी नाम,
चार प्रिया संयुक्त प्रकाम ; रा० १७ चलतां चलतां अखंड प्रयाण,
आया चित्रोड़ समीपे जाण ; रा० ए पूरी थई नवमी ढाल,
विनयचन्द्र कहै परम रसाल ; रा०१८
॥ दूहा ॥ महासेन आवी मिल्यो, निज परिवार समाज ; राज देई निज नृप भणी, आप थयौ मुनिराज ; १ मेदपाट नै लाट वलि, भोट अनै कर्णाट' ; पोते वसि करि चालीयौ, ले निज सेना थाट ; २ गोपाचल गिरि आवीयौ, उत्तम नृप जिण वार; वीरसेन राजा भणी, खबर पड़ी तिण वार ३
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