________________
श्री उत्तमकुमार चरित्र चौपई
ढाल (१०)
चाल :- मेरे नन्दना तिण वेला कुमरी कहै रे हां, वयण विचारी बोलि, सीख किसी कई झूठो स्यु एहवो झखै रे हां, मूरख निठुर निटोल १ सी० अगल डगल मुख भाखतो रे हां, किम न हुवै उपसांत ; सी० न्याय करै जौ राजवी रे हां, तो तोड़े तुझ दांत ; २ सी० सेठ कहै इम का कहै रे हां, बीतग जाणि प्रबन्ध ; सी० किहां मारग ना बोलड़ा रे हां, स्यु तुझ बोले बंध ;३ सी० करि लज्जा वलती कहै रे हाँ, धर मन अधिक उमंग ; सी० महाराज इण पापीय रे हाँ, कीधउ मुझ घर भंग ; ४ सी० पति जलधि मांहे नौखियो रे हाँ, धरि मन अधिक उमंग ; सी० सील रयण खंडण भणी रे हां, मॉड्यो घणो रे तरंग ; ५ सी० पिण हुं सीलवती सती रे हां, केम विटालुं देह ; सी० जिम तिम करी ए भोलवी रे हां, राख्यो शील अभंग ; ६ सी० हिव तुझ सरिखा राजवी रे हां, न करै सुधो न्याय ; सी० तो मन्दिरगिर डिगमिगैरे हां, धरणि पाताले जाय ; ७ सी. पातक लागै दरसण रे हां, ए पर स्त्री नो चोर ; सी० जो सीखावण द्यौ नहीं रे हाँ, स्यु करिस्यै जगि जोर ; ८ सी० सत्य वचन राजा सुणी रे हां, धर्यो वली फिर द्वेष ; सी० पोत स्थित धन संग्रह्यो रे हां, नवि राख्यो अवशेष ; ६ सी० जे भावित भवतव्यता रे हाँ, न चलै तास उपाय ; सी० जेहवो वावै रूखड़ो रे हां, तेहवा होज फल थाय ; १० सी०
११
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org