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अनुमान के आधार पर हो चलना होगा। अतः आपने लगभग १५ वर्ष की आयु में दीक्षा ली हो तो सं० १७४०-४५ के बीच में दीक्षाकाल होना चाहिए। विद्याध्ययन
दीक्षा लेने के अनन्तर आपने विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। आपकी गुरु परम्परा में साहित्य, जैनागम और भाषाशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान होते आये हैं। त्याग वैराग्यपूर्ण श्रमण संस्कृति का मुख्य आधार आचारशास्त्र और अध्यात्म था। आपने अपने गीतार्थ गुरुओं की निश्रा में रह कर पूर्ण मनोयोग पूर्वक विद्याध्ययन किया जो कि आपकी कृतियों से भली भांति प्रमाणित है। इनकी भाषा कृतियों में संस्कृत शब्दों का प्राधान्य है इससे विदित होता है कि संस्कृत भाषा एवं काव्य ग्रन्थादि का आपने सुचारु रूप से अध्ययन किया था। विहार और रचनाएँ___ आपका विहार कहाँ-कहाँ हुआ यह जानने के लिए हमारे पास आपकी कृतियों के सिवा कोई साधन नहीं है। आपकी संवतोल्लेख वाली प्रथम बड़ी रचना उत्तमकुमार चरित्र चौपई है जो सं० १७५२ मिती फागुन सुदि ५ गुरुवार के दिन पाटण में विरचित है। इससे ज्ञात होता है कि आप अपने गुरुजनों के साथ राजस्थान से तत्कालीन आचार्य श्री जिनचंद्रसूरिजी के आदेश से गुजरात पधार गये थे। इन श्री जिनचंद्रसरि जी की
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