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५ श्री पुण्यचन्द्रजी गणि तत्शिष्य पंडितोत्तमप्रवर श्री पुण्य विलासजी गणि। तदंतेवासी पंडित मानचन्द्र लिखितं ॥ श्री मरोट मध्ये ॥ सुश्रावक पुण्यप्रभावक मुंहता दुलीचन्दजी तत्पुत्र जैतसीजी तत्पुत्र सुखानन्द पठन हेतवे। आचंद्राकों यावत् चिरंनन्दतु। जन्म--- ____ कविवर का जन्म कब और किस प्रान्त में हुआ यह जानने के लिए अभी तक कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हुआ है पर गुजरात में रह कर हिन्दी रचना व राजस्थानी शब्द-प्रयोग देखते हुए प्रतीत होता है कि इनका जन्म राजस्थान में हो हुआ होगा। आपने अपनी रचनाओं में जिन राजस्थानी लोक गीतों की देसियां प्रयुक्त की हैं, यह भी हमारी धारणा को पुष्ट करने वाली हैं। आपके हृदय के उद्गार, भक्ति आदि देखते यह निश्चित है कि आपने जैन कुल में जन्म लिया था। आपकी प्रथम रचना उत्तमकुमार चरित्र चौपाई सं० १७५२ में पाटण में हुई है उस समय आपका ज्ञान और योग्यता देखते कम से कम २५ वर्ष की अवस्था होनी चाहिए तो अनुमान किया जा सकता है कि आपका जन्म लगभग १७२५ से १७३० के बीच में हुआ होगा। दीक्षा
दोक्षाकाल जानने के लिए सब से सुगम साधन श्रीपूज्यों के दफ्तर और नंदो अनुक्रम सूची है। उसके अभाव में हमें
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