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नेमि राजिमती बारहमासा
नेमजी हो भलौ रे कियौ तुम वालहा हो राज,
आवी तोरण बार ॥१०॥ नेमजी हो रथ फेरी पाछा वल्या हो राज,
. एह नहीं जग व्यवहार ॥घासा० ७॥ नेमजी हो जउ नाव्या मन मन्दिरइ हो राज,
हूँ आविस तुम पास ||घ०॥ नेमजी हो इम कहि पिउ पासइ गइ हो राज, ..... . राजुल धरती आश ॥घासा०८॥ नेमजी हो प्रणमी नेम जिणंदनइ हो राज,
संयम ग्रह्यो धरि प्रेम ||१०|| नेमजी हो प्रिउ पहिली मुगते गई हो राज,
___ वंदइ 'विनयचन्द्र' एम ॥१०॥६।।
॥ श्री नेमिनाथ राजिमती बारहमासा ।।
राग-हिंडोल
आवउ हो इस रिति हित सइ यदुकुलचन्द,
. द्यउ मोहि परम आनन्द । रस रीति राजुल वदत प्रमुदित, सुनो यादव राय। छोरि के प्रीति प्रतीति प्रियु तुम्ह, क्यूँ चले रीसाय ॥ चिहुँ ओर घोर घटा विराजत, गुहिर गाजत गइन । धरि अधिक गाढ़ अषाढ़ उलट्यउ, घट्यउ चित से चइन॥१ आ०॥
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