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विनयचन्द्रकृति कुसुमाञ्जलि नेमजी हो नवभव नेह निवारनइ हो राज,
इम किम दीजइजी छेह ॥१॥ घ०॥ नेमजी हो बिन अवगुण मुझ नइ तजी हो राज,
ते स्यउ मुझ मां दोष ॥१०॥ नेमजी हो करिवउ न घटइ तुम नइ हो राजि,
__अबला ऊपरि रोष ॥१०॥सार २॥ नेमजो हो सउ मीनति करतां थकां हो राजि,
मत जावउ मुझ मेलि ॥१०॥ नेमजी हो तुम बिन मुझ काया दहइ हो राजि,
जिम जल विहूणी वेलि ॥घासा० ३॥ नेमजी हो मुगति रमणि मोह्या तुमे हो राजि,
पिण तिण मां नहिं स्वाद ॥० नेमजी हो तेह अनंते भोगीवी हो राजि, .
छोड़उ छोकरवाद ॥३०॥सा० ४॥ नेमजी हो अधिका लोभ न कीजइ हो राजि,
आणउ हियइ रे विवेक ॥०॥ नेमजी हो सुललित शील सुहामणी हो राजि,
हुँ तुम नारी एक घासा०॥ नेमजी हो योवन लाहउ लीजियइ हो राज,
जोइ विषय सुख जोर ॥०॥ नेमजी हो चारित पिण लेज्यो पछइ हो राज,
न हुवउ कठिन कठोर ||सा० ६।।
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