________________
विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि ॥ श्री ऋषभ जिन स्तवनम् ।।
ढाल- फूली ना गीतनी देसी वीनति सुणो रे म्हारा वाल्हा, राजि मरूदेवा राणी ना लाला
राजि थारां चरण नमुं शिरनामी । थेतौ भूखां नी भावठ भंजउ,
राजि निज सेवक तणा मन रंजउ राजि० ॥१॥ म्हारा मननी आशा पूरो, ...
राजि म्हारा कठिन करम दल चूरउ । राजि० । थारा गुण सुं मो मन लागो,
राजि हियइ राखु रे बांभण जिम तागउ ॥२॥ थांरी सूरत अधिक सुहावै, ..
राजि म्हारा नयण देखि सुख पावइ राज० थारी कंचनवरणी. काया,
राजि थारउ रूप सकल सुख दाया। राज०।३॥ सोहइ नयन कमल अणियाला,
. राजि समतामृत रस वरसाला । राजि० । थे तो नाभि नरिंद कुल चन्दा,
राजि थांनइ सेवे सुर नर इन्दा । राजि०॥४॥ थारो ध्यान हिया विच धारूं, । राजि थानइ निशिदिन कहीन विसारू राजि०)
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org